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डोंगाघाट मन्दिर चांपा महंत नियुक्ति का सच

चांपा : विगत कुछ दिनों से हनुमान मंदिर डोंगाघाट के संबंध में समाचार पत्रों में भ्रामक समाचार छप रहे हैं। जिससे मंदिर की सेवा में लगे व्यक्तियों का चरित्र हनन हो रहा है। इस बाबत पूरी जानकारी निम्नानुसार है। इस मंदिर का निर्माण करीब 150 वर्षों पूर्व श्री तपसी जी महाराज उर्फ बालमुकुंद दास जी के द्वारा किया गया। सन 1967 में उनकी मृत्यु के उपरांत उनके चार शिष्यों में से एक श्री शंकर दास जी को तत्कालीन दूधाधारी मठ रायपुर के महंत श्री वैष्णव दास जी एवं क्षेत्र के प्रतिष्ठित नागरिकों के द्वारा तथा छत्तीसगढ़ के संत समाज के द्वारा महंत गद्दी सौंप गई।

महंत शंकर दास जी ने जीवन पर्यंत 4.11.1997 तक मंदिर का निर्विरोध संचालन किया। उनकी मृत्यु के पश्चात दिनांक 16.11.1997 को छत्तीसगढ़ के तीनों अनी अखाड़े एवं द्वारों के सभी महंतों द्वारा श्री शंकर दास जी के एकमात्र शिष्य श्री नरोत्तम दास जी को हनुमान मंदिर की गद्दी एवं महंती सौपीं गई। उस वक्त से मृत्यु पर्यंत तक नरोत्तम दास जी मंदिर का संचालन करते रहे। दिनांक 17.2.2024 को उनकी 13वीं पर छत्तीसगढ़ के सभी अखाड़ो के संत एवं महंतो एवं मंदिर सेवा से जुड़े नागरिकों के द्वारा महंत नरोत्तम दास जी की वसीयत के आधार पर श्री नारायण दास जी को मन्दिर के महंत की गद्दी एवं कंठी सौपीं गई।

इस मंदिर में कभी भी किसी अन्य ट्रस्ट या श्री नृत्य गोपाल दास जी अयोध्या वालों का वर्चस्व नहीं रहा है। वर्तमान में कुछ लोगों के द्वारा मंदिर के खिलाफ भ्रामक प्रचार किया जा रहा है। प्रशासन एवं पत्रकारों से अनुरोध है की सत्यता की जांच कर उपरोक्त दुष्प्रचार को रोकने में मंदिर की सहायता करें।

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